राजनाथ सिंह का चीन को कड़ा संदेश, 'सीमा की स्थिति को बदलने का प्रयास भारत को बर्दाश्त नहीं'
राजनाथ सिंह ने सदन को बताया कि चीन लद्दाख में भारत की करीब 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर अनाधिकृत कब्जा किए हुए है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य सभा में बताया कि आपसी समझौतों के आधार पर 1999 से 2003 तक दोनों देशों द्वारा एलएसी पर आपसी सहमति बनाने की कोशिश की गई. लेकिन इसके बाद इस मुद्दे को आगे बढ़ाने पर चीन ने अपनी सहमति नहीं जताई. (Image- DD News)
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य सभा में बताया कि आपसी समझौतों के आधार पर 1999 से 2003 तक दोनों देशों द्वारा एलएसी पर आपसी सहमति बनाने की कोशिश की गई. लेकिन इसके बाद इस मुद्दे को आगे बढ़ाने पर चीन ने अपनी सहमति नहीं जताई. (Image- DD News)
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेख (Line of Actual Control -LAC) पर वर्तमान हालात से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने आज सदन को अवगत कराते हुए चीन को कड़ी चेतावनी भी दी है.
संसद के मॉनसून सत्र (monsoon session) में राज्य सभा ( Rajya Sabha) में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन बार-बार सीमा समझौतों का उल्लंघन कर रहा है. नियंत्रण रेखा पर यथास्तिथि को बदलने की एकतरफा कोशिश की जा रही है और भारत इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा.
राजनाथ सिंह ने सदन को इस साल लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेख (Line of Actual Control -LAC) पर चीन की तरफ से की गई दुस्साहिक गतिविधियों के बारे में सिलसिलेवार ढंग से बताया.
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उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच आपसी समझौते से तय हुआ है कि जब तक सीमा मुद्दे का स्थिर समाधान नहीं होता है, तब तक इसी सीमा का पालन किया जाएगा. और उसका उल्लंघन किसी भी कीमत नहीं किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इसके बाद भी जून में चीन ने इस समझौते का उल्लंघन करते हुए घुसपैठ करने की कोशिश की. इस घुसपैठ को रोकने के दौरान 15 जून को गलवान घाटी में कर्नल संतोष बाबू के साथ हमारे 19 जवानों ने भारत की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे.
रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा का संबंध अनसुलझा हुआ है. यह सीमा रेखा भौगोलिक सिद्धांतों पर आधारित है. इसका निर्धारण आपसी समझौतों के आधार पर किया गया है. इससे बात से दोनों देश सदियों से अवगत हैं, जबकि चीन अभी भी यह मानता है कि सीमा अभी भी औपचारिक रूप से निर्धारित नहीं है.
उन्होंने सदन को बताया कि चीन लद्दाख में भारत की करीब 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर अनाधिकृत कब्जा किए हुए है. 1963 में एक तथाकथित सीमा-समझौते के तहत, पाकिस्तान ने पीओके की 5,180 वर्ग किमी भारतीय जमीन चीन को सौंप दी थी.
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उन्होंने सदन को बताया कि आपसी समझौतों के आधार पर 1999 से 2003 तक दोनों देशों द्वारा एलएसी पर आपसी सहमति बनाने की कोशिश की गई. लेकिन इसके बाद इस मुद्दे को आगे बढ़ाने पर चीन ने अपनी सहमति नहीं जताई. इस वजह से एलएसी के आसपास भारत और चीन के बीच अक्सर तनाव बना रहता है.
- अप्रैल से चीन ने सीमा के पास अपनी सेना की संख्या और हथियारों में इजाफा किया है.
- मई के शुरू में चीन ने गलवान भारत की सेना की गतिविधियों में व्यवधान डालना शुरू किया.
- ग्राउंड कमांडर्स द्वारा इस समस्या को सुलझाने के लिए एक प्रोटोकॉल के तहत वार्ता की जा रही थी
- इसी दौरान मई के मध्य में चीन ने एलएसी पर कई जगहों पर घुसपैठ करने की कोशिश की.
- पैंगोंग और गोगरा झील के पास भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों की घुसपैठ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की.
- 6 जून को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों ने आपस में बातचीत करके सहमति जताई.
- समोझौता हुआ कि LAC को माना जाएगा और कोई भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जाएगी जिससे यथास्थिति को बदले.
-15 जून को चीन ने गलवान घाटी में सीमा समझौते का उल्लंघन किया.
- इस विवाद में भारत के सैनिकों ने अपना बलिदान किया. साथ ही चीनी पक्ष को भारी क्षति पहुंचाई.
02:23 PM IST